धर्म और संस्कृति

प्रयागराज ; महाकुम्भ में पहली बार मां बगलामुखी यज्ञ का आयोजन

14 जनवरी से प्रयागराज ; महाकुम्भ में पहली बार मां बगलामुखी यज्ञ का आयोजन होगा। महाकुंभ में पहली बार मां बगलामुखी यज्ञ का आयोजन होगा. यह यज्ञ 14 जनवरी से प्रयागराज में होगा. इस यज्ञ में सनातन धर्म के सभी शत्रुओं के नाश की कामना की जाएगी. महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती पुरी ने संतों को निमंत्रण पत्र देना शुरू किया है। यज्ञ का अनुष्ठान 14 जनवरी से प्रयागराज में होगा, कुंभ 2025 में स्नान की तारीख 13 जनवरी – पूर्णिमा 14 जनवरी -मकर संक्रांति 29 जनवरी – मौनी अमावस्या 2 फरवरी – बसंत पंचमी 12 फरवरी – पूर्णिमा 26 फरवरी – महाशिवरात्रि,  गंगा किनारे रोजाना 108 बार पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें

चन्द्रशेखर जोशी आध्यात्मिक मार्ग दर्शक & संस्थापक अध्यक्ष बगलामुखी पीठ बंजारा वाला देहरादून Mob 9412932030

महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती पुरी ने संतों को निमंत्रण पत्र देना शुरू किया है। यज्ञ का अनुष्ठान 14 जनवरी से प्रयागराज में होगा, जिसमें भगवती की… महाकुम्भ में पहली बार मां बगलामुखी यज्ञ होगा। महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती पुरी ने इसके लिए संतों को निमंत्रण पत्र देना शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा प्रभाव मां बगलामुखी का है। इसका फिलहाल कुम्भ में कभी अनुष्ठान नहीं हुआ। पहली बार 14 जनवरी से प्रयागराज के महाकुम्भ में इसका अनुष्ठान होगा। यहां पर यज्ञ होगा, जिसमें सनातन के सभी शत्रुओं के नाश की कामना की जाएगी।

मां बगलामुखी, 10 महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट क्षेत्र में माना जाता है इनका प्रकाट्य हल्दी रंग के जल में हुआ था. हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है.  पूजा के बाद यथाशक्ति दान करें

पूरे भारत में माता बगलामुखी के तीन ही पीठ हैं, जहां तांत्रिक अनुष्ठानों के साथ लोग अपनी विजय की कामना करते हैं। मध्यप्रदेश के नलखेड़ा व दत्तिया के साथ हिमाचल का बगलामुखी मंदिर अपनी अलग पहचान रखते हैं। राजनीतिक दलों के नेता चुनाव के लिए टिकट पाने से लेकर जीत सुनिश्चित होने तक दरबार में हाजिरी भरते रहते हैं।  माता को ब्रह्मास्त्र विद्या भी कहा जाता है। ब्रह्मास्त्र विद्या अचूक वार है अतः माता इसी से अपने शिष्यों की रक्षा करतीं हैं।

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के महासंगम पर प्रयागराज में कुंभ मेला 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है। कुंभ महापर्व को विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला कहा जाता है। प्रयागराज कुंभ 2025 करीब डेढ़ महीने तक चलेगा और शिवरात्रि पर्व पर इसका समापन होगा। कुंभ पर्व की समापन तारीख 26 फरवरी है। देश में चार जगहों पर कुंभ लगता है। इनमें प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक जैसे शहर शामिल है। प्रत्येक शहर में 12 साल बाद ही कुंभ होता है। जानते हैं इन जगहों पर कुंभ क्यों होता है और 12 साल में क्यों होता है कुंभ-

कुंभ को लेकर पुराणों में कई कहानियां दी गई है। इनमें सबसे प्रसिद्ध कहानी अमृत मंथन को लेकर है। जब देवताओं और दानवों में अमृत को लेकर 12 दिनों तक युद्ध हुआ, तब देवताओं के हाथ से अमृत की कुछ बूंदें छलककर उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में गिर गईं। इन चार जगहों पर पवित्र नदियां भी बहती है। ये नदिया गंगा, यमुना, सरस्वती, शिप्रा और गोदावरी है। अमृत की बूंद गिर जाने के कारण इन चार नदियों के जल को अमृत स्वरूप माना जाता है। अमृत को बचाने के लिए सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति जैसे ग्रहों ने विशेष युद्ध किया, इसलिए कुंभ मेला इन चारों ग्रहों के विशेष संयोजन से मनाया जाता है।

उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति, बाढ़ नियंत्रण मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि 15 जनवरी से प्रारंभ हो रहे प्रयागराज महाकुंभ 2025 में करीब 45 लाख श्रृद्धालुओं के आने की संभावना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार प्रयागराज कुंभ 2025 में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए चाक चौबंद व्यवस्था की है।

सीएम योगी ने  कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का आगमन मां गंगा-यमुना व सरस्वती की त्रिवेणी में पूजा-अनुष्ठान के साथ ही प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुम्भ-2025 की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह संपूर्ण सनातन धर्मावलंबियों, देश व दुनिया के अंदर भारत के प्रति अनुराग रखने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है।

उन्होंने कहा कि बड़े हनुमान जी जिनका अभिषेक करने के लिए मां गंगा प्रतिवर्ष आती हैं, उस बड़े हनुमान मंदिर के कॉरीडोर का लोकार्पण भी आज प्रधानमंत्री मोदी के कर-कमलों द्वारा होने जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरस्वती कूप, जिसमें अदृष्य रूप में मां सरस्वती वास करती हैं और संगम पर गंगा-यमुना के साथ ही उनका संगम होता है, पहली बार 2019 के कुम्भ में ही श्रद्धालुओं को इस प्रवित्र सरस्वती कूप के दर्शन सुलभ हुए थे। सरस्वती कूप का यही भव्य रूप अब सरस्वती कॉरीडोर के रूप में लोकार्पण के जरिए सबके समक्ष होगा, सर्व सुलभ होगा। भगवान राम जब वनवास के लिए निकले थे तो सबसे पहले उन्होंने मैत्री का हाथ श्रृंगवेरपुर में निषादराज के समक्ष बढ़ाया था। सीएम योगी ने कहा, प्रधानमंत्री की प्रेरणा से यहां भगवान राम और निषादराज की 56 फुट ऊंची प्रतिमा व कॉरीडोर का लोकार्पण भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा होने जा रहा है।

 

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